चांद से कुछ ही दिनों की दूरी पर ‘चक्कर’ काट रहे Chandrayaan-3 लैंडर विक्रम को 30 किलोमीटर के निकटतम बिंदु ( पेरिल्यून )और 100 किलोमीटर के सबसे दूर बिंदु (अपोल्यून )वाली कक्षा में स्थापित करने के लिए शुक्रवार को इसकी गति को सफलतापूर्वक कम किया गया ।अब चंद्रयान-3 चांद पर ‘कदम’रखने से चंद दिन ही दूर हैं।इसरो की ओर से जारी बयान में कहा गया,” Chandrayaan-3सॉफ्ट लैंडिंग की दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए आज शाम 4 बजे लैंडर की गति को ‘ डीबूस्ट ‘किया गया। इसरो के वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार लैंडर विक्रम सफलतापूर्वक चांद की सतह पर उतर जाएगा।
गुरुवार को प्रोपल्शन मॉड्यूल (पीएम )से अलग हुए विक्रम लैंडर की कक्षा को आज घटाकर 113 किलोमीटर गुणा 157 किलोमीटर कर दिया गया। दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन 20 अगस्त की सुबह 2 बजे किया जाएगा।इसरो ने कहा कि लैंडर का स्वास्थ्य सामान्य है। ‘एक्स ‘(पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में इसरो ने कहा,” Chandrayaan-3 मिशन :द लैंडर मॉड्यूल (एलएम) का स्वास्थ्य सामान्य है।” लैंडर ने सफलतापूर्वक एक डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया ,जिससे इसकी कक्षा कम होकर 113 किलोमीटर गुणा 157 किलोमीटर हो गई।दूसरा डीबूस्टिंग ऑपरेशन लगभग 20 अगस्त 2023 को सुबह 2 बजे निर्धारित है।” इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने चंद्रयान 3 की लैंडिंग के संबंध में कहा था,”लैंडिंग का सबसे जरूरी लैंडर गी गति को 30 किलोमीटर की ऊंचाई से अंतिम लैंडिंग तक लाने की प्रक्रिया है और व्हीकल को हॉरिजॉन्टल से वर्टिकल डायरेक्शन में पहुंचाने की क्षमता वो प्रक्रिया है जहां हमें पूरी कुशलता दिखानी होगी।पूरी प्रक्रिया को कई बार दोहराया गया है।इन सभी चरणों में आवश्यक प्रक्रिया को नियंत्रित करने और उचित लैंडिंग करने की कोशिश के लिए कई एल्गोरिदम लगाए गए हैं ।अगर 23 अगस्त को लैंडर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करता है तो यह भारत की बड़ी कामयाबी होगी।